व्हाट्सेप के माध्यम से निम्न ग़ज़ल मेरे पास आई थी. इस ग़ज़ल के माध्यम से जो संदेश दिया गया है वह वास्तव में सामयिक है. बस मै इतना अवश्य जोड़ना चाहूँगा कि बहुत कम लड़के ऐसे होते है जो अपनी माँ के दर्द को महसूस नही करते. अधिकांश लड़के अपनी माँ की दुर्दशा देख कर आहत होते हैं. मगर वे इस कदर मजबूर होते हैं कि अपनी माँ की दुर्दशा पर आह भी नहीं कर सकते. लडको को कौन मज़बूर करता है इसका उत्तर इस अवसर पर देना समीचन नहीं होगा. निम्न ग़ज़ल को मैं इस लिए प्रेषित कर रहा हूँ कि हम सब जागे दूसरे को भी जगाए. कृपया ग़ज़ल को पढ़े
शख्सियत ए 'लख्ते-जिगर' कहला न सका ।
जन्नत के धनी "पैर" कभी सहला न सका ।
😭
जन्नत के धनी "पैर" कभी सहला न सका ।

दुध पिलाया उसने छाती से निचोड़कर
मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
😭
मैं 'निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।

बुढापे का "सहारा,, हूँ 'अहसास' दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।
😭
पेट पर सुलाने वाली को 'मखमल, पर सुला न सका ।

वो 'भूखी, सो गई 'बहू, के 'डर, से एकबार मांगकर
मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले उसे खिला न सका ।
😭
मैं "सुकुन,, के 'दो, निवाले उसे खिला न सका ।

नजरें उन 'बुढी, "आंखों से कभी मिला न सका ।
वो 'दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।
😔
वो 'दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।

जो हर "जीवनभर" 'ममता, के रंग पहनाती रही मुझे
उसे "ईद/होली" पर दो 'जोड़ी, कपडे सिला न सका ।
😭
उसे "ईद/होली" पर दो 'जोड़ी, कपडे सिला न सका ।

"बिमार बिस्तर से उसे 'शिफा, दिला न सका ।
'खर्च के डर से उसे बड़े अस्पताल, ले जा न सका ।
😔
'खर्च के डर से उसे बड़े अस्पताल, ले जा न सका ।

"माँ" के बेटा कहकर 'दम,तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
'दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।
😭
'दवाई, इतनी भी "महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।

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