Saturday 8 October 2016

Surgical Strike - 2

उन्नत किश्म की बंदूक हैं. उसमें गोली भरी है. बंदूक मेरे हाथ में है. मेरी अंगुलियाँ बंदूक के ट्रिगर पर है. दुश्मन मेरे सामने खड़ा हैं -सीना ताने हुए , आँखें तरेरते हुए. उसे देख कर या किसी और आशंका से मेरी उंगलिओ में कम्पन शुरू हो जाती हैं. ट्रिगर पर मेरी पकड़ ढीली पड़ जाती है. ट्रिगर नहीं दब पाता. मैं बंदूक को ज़मीन पर रख देता हूँ. दुश्मन मेरे ऊपर अट्टहास करता है. उसका दुस्साहस बढ़ जाता है. 
सवाल है कि क्या मैं बुजदिल नही हूँ ? क्या मेरे परिवार के लोग मुझ पर शर्मिंदा नहीं होंगे ? मेरी बुज्दीली पर क्या मेरे परिवार वाले अपना सर नहीं पिटेंगे ?
मेरी जगह आप हैं. आपने दुश्मन को सुधरने का अवसर दिया. गिले शिकवे भुला कर दोस्ती का हाथ बढ़ाया. अपने आस पास के लोगों के दिल में आपने जगह बनाई. दुश्मन को गले लगाते हुये आप सावधान रहै कि वह कभी भी छूरा भोंक सकता हैं. आप अपनी शक्ति बढ़ाते रहें. आप सही समय का इंतजार करते रहे. आपने चालाकी की. आप ने दुश्मन पर उसी बंदूक से उस समय गोली दागी जब वह सोया था. आपके सामने सीना तानकर खड़े होने और आँखे तरेरने का उसे मौका ही नहीं मिला.
सवाल यह है कि क्या आपके परिवार वाले आपके ऊपर गर्व नहीं करेंगे ? क्या आपके परिवार वाले आपकी सूझ बूझ सोच और कौशल का गुणगान नहीँ करेंगे, जश्न नहीं मनाएंगे?
बंदूक तो एक ही हैं. सवाल यह है कि ट्रिगर दबाने वाला कौन है? सब कुछ निर्भर करता हैं उस शख्श के ऊपर जिसके हाथ में बंदूक हैं.
यही स्थिति सेना का हैं. सेना वह बंदूक है जिसके ट्रिगर पर सरकार का हाथ है. उक्त उदाहरण में मेरी जगह विगत कुछ सरकारें थी और आप की जगह 1965, 1971 और 1999 में जो सरकारें थी वे थी और वर्तमान सरकार है. उदाहरण में जिस तरह आपके परिवार के लोग जश्न मनाएंगे उसी तरह उक्त सरकारों के परिवारों की तरह वर्तमान सरकार का परिवार अर्थात वह पार्टी जश्न मना रही है और श्रेय ले रही है तो यह स्वाभाविक है. यदि उदाहरण में मेरा परिवार जलन की वजह से आप पर उंगली उठा रहा है तो वह सरासर गलत हैं.
मुझे आशा है कि मेरी मित्र समझ गए होगे कि मेरे कहने का अर्थ क्या हैं. सेना वही है. सेना की कमान सरकार के हाथ में है. सेना की गति सरकार के निर्णय पर आधारित है. सर्जिकल स्ट्राइक का फ़ैसला सरकार का था और उस फैसले को अंजाम देने का काम सेना ने किया. यह इतनी सामान्य सी बात हैं कि इसको समझने के लिए ज्यादा माथापच्ची करने की ज़रूरत ही नहीं हैं. किसी भी दृष्टि से इसका पूरा श्रेय बर्तमान सरकार को जाता हैं. स्वाभाविक हैं सरकार की किसी उपलब्धि पर सबसे अधिक खुशी उस पार्टी को होती हैं जिसकी सरकार होती है.

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