नोएडा Vs बलिया: दोनों में कितना फर्क है? एक यूरोप है तो दूसरा अफ्रीका. आखिर क्यों? नोएडा को देख कर लगता ही नही की वह उत्तर प्रदेश का का अंग हैं. ज़मीन आसमान का फर्क है दोनों में.
दोनों जनपदों को मैं करीब से देख रहा हूँ. कमोवेश बलिया के आसपास के जनपदों की वही स्थिति है जो बलिया की है.
राज्यों के बीच संसाधनों का आबंटन केन्द्र सरकार के अधीन और जनपदों के अंदर संसाधनों का आबंटन राज्य सरकार करती है. इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार जो योजनाए बनाती हैं उसका क्रियान्वयन राज्य सरकार करती.
कहा जा सकता हैं कि नोएडा और बलिया में आज जो ज़मीन आसमान का फर्क है उसका मुख्य कारण अब तक की जो सरकारे रही है, उनका बलिया और आसपास के इलाकों के साथ सौतेला व्यवहार रहा है.
उत्तर प्रदेश में 2017 में चुनाव होने जा रहा है. मेरे प्रिय जनपद बलिया के मित्रों , आपसे मेरा अनुरोध हैं कि जाति वर्ग और धर्म के दायरे से बाहर निकल उन लोगों से यह सवाल अवश्य पूछे जो आपके पास वोट माँगने आते हैं. पूछे उनसे कि उनकी पार्टी की सरकारों ने ऐसा भेद भाव क्यों क्या ? पूछिए उनसे कि आजादी के साठ साल बीत जाने के बावजूद भी बलिया में आधार भूत ढाँचे का विकास क्यों नहीं हुआ ? राजनीतिक रूप से सचेत बलिया में भौतिक संसाधनों का अभाव क्यों है. बौद्धिक रूप से सशक्त बलिया की दुर्दशा क्या बलिया के छुटभैये नेताओ की वजह से नहीं हुई है जिनका लक्ष्य दलाली मात्र है. मित्रों यदि आपने समय रहते इस पर विचार नहीं किया तो हमारी संतति हमें माफ नही करेगी. जय बलिया ! जय हिंद !
दोनों जनपदों को मैं करीब से देख रहा हूँ. कमोवेश बलिया के आसपास के जनपदों की वही स्थिति है जो बलिया की है.
राज्यों के बीच संसाधनों का आबंटन केन्द्र सरकार के अधीन और जनपदों के अंदर संसाधनों का आबंटन राज्य सरकार करती है. इसके अतिरिक्त केन्द्र सरकार जो योजनाए बनाती हैं उसका क्रियान्वयन राज्य सरकार करती.
कहा जा सकता हैं कि नोएडा और बलिया में आज जो ज़मीन आसमान का फर्क है उसका मुख्य कारण अब तक की जो सरकारे रही है, उनका बलिया और आसपास के इलाकों के साथ सौतेला व्यवहार रहा है.
उत्तर प्रदेश में 2017 में चुनाव होने जा रहा है. मेरे प्रिय जनपद बलिया के मित्रों , आपसे मेरा अनुरोध हैं कि जाति वर्ग और धर्म के दायरे से बाहर निकल उन लोगों से यह सवाल अवश्य पूछे जो आपके पास वोट माँगने आते हैं. पूछे उनसे कि उनकी पार्टी की सरकारों ने ऐसा भेद भाव क्यों क्या ? पूछिए उनसे कि आजादी के साठ साल बीत जाने के बावजूद भी बलिया में आधार भूत ढाँचे का विकास क्यों नहीं हुआ ? राजनीतिक रूप से सचेत बलिया में भौतिक संसाधनों का अभाव क्यों है. बौद्धिक रूप से सशक्त बलिया की दुर्दशा क्या बलिया के छुटभैये नेताओ की वजह से नहीं हुई है जिनका लक्ष्य दलाली मात्र है. मित्रों यदि आपने समय रहते इस पर विचार नहीं किया तो हमारी संतति हमें माफ नही करेगी. जय बलिया ! जय हिंद !
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