ज़रा सोचिए,कहीं हम समस्या तो नहीं हैं ?
एक बार एक उच्चाधिकारी ने हम लोगों को सम्बोधित करते हुए कहाँ था कि जब आप लोग मेरे पास कोई समस्या ले कर आएं तब उसके साथ समाधान भी ले कर आयें. बिना समाधान के यदि सिर्फ समस्या लेकर आते हैं तो आप खुद समस्या हैं. उनकी यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी थी. आज़ भी उनकी कहीं हुई बात को अक्सर मैं दुहराता हूँ.
मुझे लगता हैं उक्त बात सार्वभौमिक औऱ सर्वकालिक हैं. आज़ हम देखते हैं कि अत्र, तत्र, सर्वत्र हम सिर्फ समस्याओं को गिनाते हैं औऱ समस्याओं पर चर्चा करते हैं. टीवी पर औऱ यहाँ तक कि हमारी सर्वोच्च संवैधानिक संस्था में भी हमें समस्याओं पर मात्र चर्चा सुनने को मिलती हैं. हाँ , कभी कभी समस्या के साथ साथ माँग भी की जाती है. लेकिन यदि अपवादों को नज़रंदाज़ कर दिया जाय हम या कोई सुझाव ले कर सामने नहीं आता. माँग करने वाला व्यक्ति या संगठन जब किसी चीज़ की माँग करता हैं तो वह यह नहीं बताता कि उसकी मांगे कैसे पूरी की सकती हैं. ऐसी स्थिति में मुझे लगता हैं कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन किसी भी प्लेटफ़ॉर्म से बिना किसी सम्यक समाधान के समस्या की बात करता है या मांग रखता है तो वह व्यक्ति या संगठन खुद समस्या है. ऐसे व्यक्ति या संगठन की इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना राष्ट्र की प्रगति में अवरोध उत्पन्न करना है.
एक बार एक उच्चाधिकारी ने हम लोगों को सम्बोधित करते हुए कहाँ था कि जब आप लोग मेरे पास कोई समस्या ले कर आएं तब उसके साथ समाधान भी ले कर आयें. बिना समाधान के यदि सिर्फ समस्या लेकर आते हैं तो आप खुद समस्या हैं. उनकी यह बात मुझे बहुत अच्छी लगी थी. आज़ भी उनकी कहीं हुई बात को अक्सर मैं दुहराता हूँ.
मुझे लगता हैं उक्त बात सार्वभौमिक औऱ सर्वकालिक हैं. आज़ हम देखते हैं कि अत्र, तत्र, सर्वत्र हम सिर्फ समस्याओं को गिनाते हैं औऱ समस्याओं पर चर्चा करते हैं. टीवी पर औऱ यहाँ तक कि हमारी सर्वोच्च संवैधानिक संस्था में भी हमें समस्याओं पर मात्र चर्चा सुनने को मिलती हैं. हाँ , कभी कभी समस्या के साथ साथ माँग भी की जाती है. लेकिन यदि अपवादों को नज़रंदाज़ कर दिया जाय हम या कोई सुझाव ले कर सामने नहीं आता. माँग करने वाला व्यक्ति या संगठन जब किसी चीज़ की माँग करता हैं तो वह यह नहीं बताता कि उसकी मांगे कैसे पूरी की सकती हैं. ऐसी स्थिति में मुझे लगता हैं कि यदि कोई व्यक्ति या संगठन किसी भी प्लेटफ़ॉर्म से बिना किसी सम्यक समाधान के समस्या की बात करता है या मांग रखता है तो वह व्यक्ति या संगठन खुद समस्या है. ऐसे व्यक्ति या संगठन की इस प्रवृत्ति को प्रोत्साहित करना राष्ट्र की प्रगति में अवरोध उत्पन्न करना है.
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