मूझे लगता हैं कि जो लोग अपनी श्रेष्ठता का प्रदर्शन करने की कोशिश करते हैं वे वास्तव में कुलीनता के भाव से नहीं बल्कि हीनता के भाव से ग्रसित होते है. मै एक वाकया का जिक्र कर रहा हूँ. वाकया इलाहाबाद मेडिकल कॉलेज की हैं. मेडिकल कॉलेज के परिसर में ही मेरे एक दूर के रिश्तेदार रहते थे. मैं उनके यहाँ गया था. सितम्बर का महीना था. हल्की हल्की बूदा बादी हो रहीं थी. मैंने पैंट औऱ शर्ट पहन रखी थी. बूंदा बांदी से सर को बचाने के लिऐ मैंने सर पर एक तौलिया रखा था. मेरे पहुँचने के पहले मेडिकल कॉलेज के फोर्थ ईयर के एक छात्र बैठे थे. उन्होने एक टाई बाँध रखी थी. जब मै ड्राइंग रूम में दाखिल हुआ तो उन्होने बड़े गौर से मुझे दो तीन बार देखा. मैं समझ नहीं पाया कि उन्होंने मुझे दो तीन बार क्यों देखा. खैर उनसे नहीं रहा गया. वे मुझसे पूछ ही बैठे -भाई साहब आप बलिया के तो नहीं हैं ? मैंने कहा कि मैं बलिया का ही हूँ. मेरा जवाब सुनकर वे हल्का सा मुस्कराए. मैंने पूछा -भाई साहब आपको कैसे पता चला कि मैं बलिया का रहने वाला हूँ. उन्होंने बलिया वालों का मजाक उडाने के लहजे में कहा - बलिया वाले पैंट शर्ट के साथ साथ गमछा भी लिए रहते हैं. मैने कहा कि हाँ आपका कहना बिल्कुल सही हैं. मैंने पूछा कि क्या पैंट शर्ट पर गमछा नहीं लेना चाहिए ? उन्होने ने जवाब दिया कि पैंट औऱ शर्ट पर गमछा ठीक नहीं लगता. मैने कहा कि बलिया वाले पैंट शर्ट के ऊपर गमछा लेते हैं उसका तर्क संगत कारण हैं.ऐसा कहने के बाद मैंने पूछा कि आपने जो टाई बांध रखी है उसके पीछे क्या तर्क हैं ? हैं इसका कोई लॉजिक हैं? इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था. मैंने कहा कि आपके अन्दर हीनता की भावना हैं. आपने मान लिया हैं अंग्रेजों की वेष भूषा ही सर्व श्रेष्ठ थी. आपने मान लिया हैं वे कुलीन थे औऱ उनके जैसा वेष भूषा औऱ रहन सहन ही कुलीनता का प्रतीक हैं. आपको भारतीय होने पर शर्म आएगी. मुझे बलियाटिक औऱ भारतीय होने पर गर्व हैं. मेरी बातें सुन कर वे हक्का बक्का रह गए थे. उन्होने मेरी योग्यता पूछी. यह भी पूछा कि आप कहाँ काम करते हैं. उसी समय मेरे रिश्तेदार नहा कर बाथ रूम से बाहर आये औऱ मेरी तरफ़ से उनके सवालों के जवाब दिए. पाश्चात्य संस्कृति में जो लोग आकंठ डूबे हैं औऱ जो साधारण वेष भूषा वालों को हिकारत की नज़र से देखते हैं वे हीन भावना के शिकार हैं.
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