Sunday, 7 August 2016

मन मे सम्मान एक पुत्र का पिता के प्रति

आज़ ही सुबह मैंने ' मतलब दोस्ती का शीर्षक' से एक पोस्ट लिखा है. इस समय अपने उसी दोस्त के बारे में बताना चाहता हूँ. मेरा वह दोस्त अपने पिता का बहुत सम्मान करता था. उनकी सभी आज्ञाओ का पालन करता था. अपने पिता के लिऐ उसके दिल मे बहुत सम्मान था. वह अपने पिता से कभी बहस नहीं करता था. उसके पिता भी अपने पुत्र पर गर्व था. वह एम.ए. कर चुका था. 
मैं जिस वाकया का जिक्र करने जा रहा हूँ , वह भी एक बारात का है. हमारे यहाँ बारात के आगमन पर शामियाने मे ही शाम को आवभगत और अगले सुबह विदाई के समय एक ट्रे मे छोटा छोटा कटा हुआ सूखा नारियल, किशमिश, खजूर इत्यादि का मिश्रण और दूसरे ट्रे मे सिगरेट, बीडी,पान , तम्बाकू इत्यादि रख कर लड़की पक्ष लड़के पक्ष के प्रत्येक सदस्य के सामने ले जाता है. जिसको जो चाहिए होता है वह ट्रे में से उठा लेता है. हम लोग एक बारात में गए थे. कुछ लड़को ने शौकिया सिगरेट उठा लिया. मेरे दोस्त ने भी अन्य लड़को की तरह सिगरेट लिया. मुझे उसका सिगरेट लेना अच्छा नहीं लगा. मुझे उसकी पिताजी की उस दिन की बात याद गई जिस दिन शराब पीने की अफवाह सुन कर मेरे पास आये थे मुझसे अपने पुत्र के सम्बंध में पूछताछ की थी. मुझे लगा कि मेरा दोस्त अपने पिताजी का विश्वास तोड़ रहा है.वह उस पिता का विश्वास तोड़ रहा था जिन्हें अपने पुत्र पर गर्व था. मुझे लगा कि अपने दोस्त को सिगरेट पीने से रोकना चाहिए. मैंने उसे शामियाने के बाहर के गय़ा और बताया कि उसके पिता जी उस पर कितना विश्वास करते है. मैंने कहा कि उस पिता का विश्वास तोड़ रहें हो जिसका तुम्हारे ऊपर अटूट विश्वास ही नही है बल्कि गर्व भी है. जब उसने मेरी बातें सुनी तो वह भावुक हो गया और वहीं पर सिगरेट के टुकडे तुकडे कर के फेक दिया. मैं अपने दोस्त पर पहले से ही गर्व करता था. मगर उस घटना के बाद मुझे ऐसा लगा कि मेरा सिर और ऊँचा हो गया. इस वाकया से यह भी निकल कर सामने आता है कि दोस्त वही है जो दोस्त को सही सलह दे , उसको गलत रास्ते पर जाने से रोके.

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